भारत ने PM श्री नरेंदर मोदी की अगुवाई में एक नया आर्थिक कीर्तिमान स्थापित करते हुए दुनिया की 4th Largest Economy बनकर जापान को पीछे छोड़ दिया है। IMF (अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष) की अप्रैल 2025 की वर्ल्ड इकोनॉमिक आउटलुक रिपोर्ट के अनुसार, भारत की नॉमिनल जीडीपी अब $4.187 ट्रिलियन पहुंच गई है, जबकि जापान की GDP $4.186 ट्रिलियन रही। इस छोटे से आंकड़े का फर्क एक बड़ी वैश्विक आर्थिक कहानी का संकेत है।
कैसे बना भारत 4th Largest Economy?
श्री नरेंदर मोदी की केंद्र में सरकार बनने के बाद उनकी मुख्य नीतियों में से एक आर्थिक सुधार था, केंद्र की सरकार इन्हीं नीतियों पर काम करते हुए एक लम्बी आर्थिक छलांग लगाई है। आइये जानते हैं कैसे भारत आज 4th Largest Economy बन कर उभरा है।
- मेक इन इंडिया और स्टार्टअप इंडिया जैसे अभियानों से देश में फैक्ट्री लगाने और नए बिज़नेस शुरू करने को बढ़ावा मिला, जिससे इन सेक्टरों में तेज़ी से विकास हुआ।
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डिजिटल इंडिया अभियान की वजह से लोगों ने तेजी से डिजिटल तरीके से भुगतान करना शुरू किया और ज्यादा से ज्यादा लोग बैंकिंग सेवाओं से जुड़ गए।
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PLI (Production Linked Incentive) स्कीम से मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स, फार्मा जैसे क्षेत्रों में भारी निवेश हुआ।
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GST, IBC और DBT जैसी संरचनात्मक सुधारों से पारदर्शिता और टैक्स कलेक्शन में वृद्धि।
- स्थिर राजनीतिक नेतृत्व: केंद्र सरकार की स्पष्ट आर्थिक दिशा और निरंतर प्रयासों ने नीति निर्धारण में स्थिरता लाई है, जिससे दीर्घकालिक योजनाओं को साकार रूप दिया जा सका।
- विदेशी निवेश (FDI): टेक्नोलॉजी, फार्मा, और ऑटोमोबाइल में रिकॉर्ड निवेश।
भारत के प्रमुख और सबसे बड़े क्षेत्र
भारत के main और परमुख बड़े क्षेत्र वो किया किया हैं जिस से हम अंदाज़ा लगा सकते हैं की आने वाली दिनों भारत की इकॉनमी किस रफ़्तार से आगे बढ़ेगी।
क्षेत्र | योगदान GDP में (%) |
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सेवा क्षेत्र | ~54% |
उद्योग / मैन्युफैक्चरिंग | ~25% |
कृषि क्षेत्र | ~17% |
निर्माण, खनन | ~4% |
सेवा क्षेत्र जैसे आईटी, टेलीकॉम, फाइनेंस, हेल्थकेयर और एजुकेशन भारत की आर्थिक रीढ़ हैं।
भारत ने जापान को कैसे पीछे छोड़ा?
अगर हम बात करे जापान की इकॉनमी के बारे में तो हम देखते हैं की जापान की इकॉनमी पिछले कुछ सालों से लगातार धीमी गति से बढ़ रही है, और वहीँ भारत की GDP में औसतन 6–7% वार्षिक वृद्धि हुई।
इसके साथ ही जापान की इकॉनमी की धीमी गति से बढ़ने की वजह आबादी है, जापान की आबादी जियादा तर बूढी होई जा रही है, जबकि वहीँ पर भारत दुनिया का सबसे युवा देश है। भारत में खपत और निवेश में निरंतर वृद्धि हो रही है, जबकि जापान में मांग स्थिर या घटती रही।
बीते 5-10 वर्षों में भारत की आर्थिक यात्रा
अगर हम पिछले 10 वर्षों की बात करें और भारत की जीडीपी और इकॉनमी पर एक नज़र डालें तो साफ़ तौर पर झालग्ता है की भारत तेज़ी से आर्थिक तौर पर एक मज़बूत नेशन बनने की तरफ है । उसका अंदाज़ा इस बात से लगा सकते हैं की 2014 में GDP: $2 ट्रिलियन थी, वहीँ भारत तेज़ी से आगे की तरफ बढ़ा , और 2020 में $2.9 ट्रिलियन और 2024-25 में: $4.19 ट्रिलियन (IMF रिपोर्ट) हो गया है। इस का मतलब यह हुवा की महज़ 10 वर्षों में भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को दोगुना से ज्यादा कर लिया है।
आर्थिक विकास के Key Growth Drivers
हम जब नज़र डालते हैं की Key Growth Drivers किया किया हो सकते है, तो मुख्य तौर पर हमारी निगाह कुछ चीज़ों पर पड़ती है जिन में
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डिजिटल क्रांति – UPI, डिजिटल बैंकिंग
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युवाओं की जनसंख्या – डेमोग्राफिक डिविडेंड
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विनिर्माण और निर्यात में तेजी
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रेगुलेटरी सुधार
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विदेशी निवेश (FDI और FII) में वृद्धि
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ग्रीन और सस्टेनेबल इनिशिएटिव्स
वर्तमान में कौन सा क्षेत्र सबसे तेजी से बढ़ रहा है?
भारत में देखा जाए तो वर्तमान में तेज़ी से grow करने वाले क्षेत्र में यह सब क्षेत्र हैं , और भी grow करेंगे, और बढ़ते वक़्त के साथ इसमें आपार संभावनाएं भी हैं और रहेंगी।
क्षेत्र | वृद्धि दर (2024-25 अनुमान) |
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डिजिटल सेवाएं | 10%+ |
इलेक्ट्रिक वाहन (EVs) | 12%+ |
क्लाउड कंप्यूटिंग | 15%+ |
फार्मा व हेल्थटेक | 9-10% |
टूरिज्म व हॉस्पिटैलिटी | 8% |
भविष्य के बड़े उद्योग (Next Big Bets)
अगर हम बात करें की भविषय में कोण कोण से और ऐसे क्षेत्र जो बहुत तेज़ी से भारत में और ग्लोबली लगातार उसमें भड़ोत्री होती रहेगी। उनमें निमिन्लिखित यह क्षेत्र हो सकते हैं।
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ग्रीन हाइड्रोजन
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आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रोबोटिक्स
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सेमीकंडक्टर मैन्युफैक्चरिंग
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स्पेस टेक (ISRO-Private Sector)
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फिनटेक और डिजिटल बैंकिंग
क्या भारत जर्मनी को भी पीछे छोड़ सकता है?
निति आयोग के सीईओ बी वी आर सुब्रह्मण्यम ने अपने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा की अगर हम अपनी योजना और सोच विचार पर टिके और डटे रहे तो आने वाले 3 साल के अंदर हम तीसरी बड़ीअर्थव्यवस्था बन जाएंगे। और IMF का अनुमान है की 2027 तक भारत जर्मनी को पीछे छोड़ कर उसकी GDP $5.5 ट्रिलियन तक होजाएगी।
GDP तुलना (2025 IMF अनुमान)
2025 में अभी भारत से आगे और कौन कौन से देश हैं।
देश | GDP (ट्रिलियन डॉलर) |
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अमेरिका | 30.51 |
चीन | 9.23 |
जर्मनी | 4.74 |
भारत | 4.187 |
जापान | 4.186 |
भारत की आर्थिक सफलता का आम जनता पर प्रभाव
भारत ने यह अपलब्धदी हासिल तो कर ली है, और आने वाले दिनों में बहुत तेज़ी के साथ तीसरी लार्जेस्ट इकॉनमी बन कर भी उभरेगी, लेकिन आम जनता पर इसका किया प्रभाव होगा, आइये इस पर एक हम नज़र डालते हैं।
रोज़गार के नए अवसर बढ़ने के चान्सेस बहुत ज़ियादा है, साथ ही आने वाले दिनों में महिलाओं और युवाओं की भागीदारी में वृद्धि देखने को मिलेगी। गांव-शहर के बीच डिजिटल व आर्थिक अंतर घट रहा है। जीवन अस्तर में सुधार भी आया है, और आगे और भी आने की संभावनाएं हैं, अर्थव्यवस्था के मजबूत होने से लोगों की आमदनी और खर्च करने की क्षमता बढ़ी है। गांवों और शहरों में रहन-सहन बेहतर हुआ है, और लोग शिक्षा, स्वास्थ्य और सुविधाओं पर ज़्यादा खर्च कर पा रहे हैं।
डिजिटल इंडिया जैसे अभियानों से बैंकिंग, UPI पेमेंट, सरकारी योजनाओं का लाभ लेना अब पहले से कहीं आसान हुआ है। इससे गांवों तक भी डिजिटल क्रांति पहुंची है। सड़कों, मेट्रो, रेलवे, एयरपोर्ट और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं में तेजी से सुधार हुआ है, जिससे आम आदमी की रोज़मर्रा की ज़िंदगी और सुगम हुई है। स्टार्टअप इंडिया, PLI स्कीम और सरकारी सहयोग से छोटे बिज़नेस और युवा उद्यमियों को नई पहचान और अवसर मिल रहे हैं।
भारत की इस ऐतिहासिक उपलब्धि का Globally क्या प्रभाव पड़ेगा?
भारत का दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना सिर्फ एक आंकड़ा नहीं, बल्कि ग्लोबल पावर बैलेंस में एक बड़ा बदलाव है। इसका अंतरराष्ट्रीय मंचों पर गहरा असर पड़ेगा:
अंतरराष्ट्रीय प्रभाव में जबरदस्त वृद्धि
अब भारत की आवाज G20, IMF, BRICS और WTO जैसे वैश्विक संगठनों में और अधिक प्रभावशाली होगी। नीति निर्धारण में भारत की भूमिका निर्णायक बनती जा रही है।
भारत बनेगा वैश्विक निवेश का हॉटस्पॉट
भारत की अर्थव्यवस्था के आकार में वृद्धि से विदेशी कंपनियां और निवेशक इसे एक भरोसेमंद और दीर्घकालिक बाजार मान रहे हैं। इससे FDI (विदेशी प्रत्यक्ष निवेश) में तेज़ी से इज़ाफा होने की संभावना है।
इंडो-पैसिफिक में रणनीतिक मजबूती
भारत और जापान के बीच चल रही रणनीतिक साझेदारी (जैसे चंद्रयान-5, क्वाड सहयोग, और रक्षा समझौते) अब और अधिक संतुलित और प्रभावी होंगी, जिससे इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में स्थिरता को बल मिलेगा।
ग्लोबल इकोनॉमिक लीडरशिप की ओर कदम
यह उपलब्धि भारत को वैश्विक आर्थिक नेतृत्व (Global Economic Leadership) की दिशा में और करीब लाती है। यदि भारत 2027-28 तक जर्मनी को भी पीछे छोड़ देता है, तो वह न केवल एशिया बल्कि वैश्विक मंच पर एक मजबूत आर्थिक महाशक्ति के रूप में उभरेगा।
निष्कर्ष: अब लक्ष्य “जर्मनी”
भारत की यह उपलब्धि सिर्फ सांख्यिकीय नहीं, बल्कि आत्मविश्वास, नवाचार और सामर्थ्य का प्रतीक है। अगला पड़ाव है, जर्मनी को पछाड़कर तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना। अगर भारत इसी गति से आगे बढ़ता रहा, तो यह सपना जल्द ही साकार हो सकता है।